Friday, May 26, 2017

Batuk Bhairava Sadhna



Batuk Bhairava Sadhna

It is said that in the present times of Kaliyug the Sadhanas of Lord Bhairava are among the most easy to accomplish and succeed in. The ancient text Shiv Mahapuraan states that Bhairav is but another form of Lord Shiva and he protects his devotees from the most grave dangers.
The text Shakti Samagam Tantra tells how Bhairav first manifested. In the ancient times a demon named Aapad performed very severe penance and became immortal.. He started using his power to harass the gods and human beings. At last when his atrocities became unbearable the gods got together and started to think of some way to put an end to the life of Aapad.
They prayed to Lord Shiva for help and in response a divine radiance appeared from the form of the Lord. This assumed the form of a five year old child Batuk Bheiray. Simultaneously divine radiance also poured forth from the forms of the gods and merged into the form of Batuk. Thus the child Batuk was blessed by all divine beings and he became invincible.
Batuk Bhairav killed the demon Aapad and he came to be known as Aapaduddhaarak Bheirav i.e. Bheirav who got rid of demon Aapad. From that time Aapad came to be a synonym of problems and Bhairav is the deity who protects his devotees from all problems in life.
Through Batuk Bhairav Sadhana the following gains can be had:
All problems, obstacles and dangers are removed from one's life,
One becomes mentally peaceful and quarrels and tensions in family life come to an end.
One is protected even from future problems if one regularly tries this Sadhana at least once every year.
In order to make the state authorities favorable and to win court cases there is no better Sadhana.
One's life and property are protected from all dangers.
In the night of a Sunday have a bath and wear fresh clean clothes. Then on a wooden seat placed before yourself make a mound of black sesame seeds. On it place a Batuk Bhairav Yantra. Light a ghee lamp and then offer flowers and vermilion to the Lord. Pray to the God for success in the Sadhana.
Then join both palms and meditate on the divine form of the Lord chanting thus.
Bhakatyaa Namaami Batukam Tarunnam, Trinetram, Kaam Pradaan Var Kapaal Trishool Dandaan. Bhaktaarti Naash Karanne Dadhatam Kareshu, Tam Kostubhaa-Bharann Bhooshit Divya Deham.
Then take some rice grains in your right hand and speak out your problems clearly. Next move the rice grains around your head and throw them in all directions. Then with a rosary chant eleven rounds of following Mantra.

Mantra:
"Om Hreem Batukaay Aapad Uddhaarnnaay Kuru Kuru Batukaay Hreem Om Swaahaa"

ॐ ह्रीं बटुकाय आपद्ध उद्धारणाय कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं ॐ स्वाहा ॥

"ఓం హ్రీం భటుకాయ ఆపధోద్ధరణాయ కురు కురు భటుకాయ హ్రీం ఓం స్వాహా"


Do this regularly for 7 days. After 7 days drop the Yantra and rosary in a pond or river. Soon favorable results would manifest.

Hanuman Shabar Mantra For Success in Business



Hanuman Shabar Mantra For Success in Business

To be a successful and rich business magnate has always been your dream yet in spite of devoted and honest efforts the goal remains as distant as the horizon. More you run towards it the farther it seems.
Whatever your problem may be-lack of finance, cutthroat competition or dishonest partners just try this marvelous ritual and see the result for yourself.
Early morning on Tuesday take a bath and get into clean clothes. Sit in the worship place. In a plate place Hanuman picture . Offer vermilion and rice grains on it. Light a ghee lamp. Keep your eyes fixed on Hanuman and chant the following Mantra continuously for 25 minutes.
Mantra:

"Om Hanumant Veer Rakho Hadh Dheer Karo Ye Kaam Vyapar Badhe Tantra Door Hoon Toona Toote Grahak Badhe Karaj Sidh Hoye Na Hoye To Anjani Ki Duhai"

ॐ हनुमंत वीर रखो हद धीर करो ये काम व्यापार बढे तंत्र दूर हों टोना टूटे ग्राहक बढे कारज सिद्ध होय ना होय तो अञ्जनि की दुहाई ॥

"ఓం హనుమంత్ వీర్ రఖో హధ్ ధీర్ కరో యే కామ్ వ్యాపార్ బడే తంత్ర దూర్ హో టోన టూటే గ్రాహక్ బడే కారజ్ సిధ్ హొయే నా హొయే తో అంజని కి దుహాయి"

Do this regularly for 11 days at the same time. After that leave Hanuman Picture in a temple

Friday, May 12, 2017

Hanuman Chalisa - Rare Prayog


Hanuman Chalisa - Rare Prayog
“संकट कटे मिटे सब पीरा जो सुमिरे हनुमंत बलबीरा”

भारतीय आगम तथा निगम में स्तोत्र का एक महत्वपूर्ण स्थान है. सामान्य रूप से स्तोत्र की व्याख्या कुछ इस प्रकार की जा सकती है की स्तोत्र विशेष शब्दों का समूह है जिसके माध्यम से इष्ट की अभ्यर्थना की जाती है. वस्तुतः स्तोत्र के भी कई कई प्रकार है लेकिन तंत्र में इन स्तोत्र को सहजता से नहीं लिया जा सकता है, तंत्र वह क्षेत्र है जहां पर पग पग पर अनन्त रहस्य बिखरे पड़े है. चाहे वह शिवतांडव स्तोत्र हो या सिद्ध कुंजिका, सभी अपने आप में कई कई गोपनीय प्रक्रिया तथा साधनाओ को अपने आप में समाहित किये हुवे है. कई स्तोत्र, कवच, सहस्त्रनाम, खडगमाल आदि शिव या शक्ति से श्रीमुख से उच्चारित हुवे है जो की स्वयं सिद्ध है और यही स्तोत्र विभिन्न तंत्र के भाग है. इसके अलावा कई महासिद्धो ने भी अपने इष्ट की साधना कर उनको प्रत्यक्ष किया था तथा तदोपरांत स्तोत्र की रचना कर उन स्तोत्र की जनमानस के कल्याण सिद्धि हेतु अपने इष्ट से वरदान प्राप्त किया था. ऐसे स्तोत्र निश्चय ही सर्व सिद्धि प्रदाता होते है. उपरोक्त पंक्तियाँ हनुमान चालीसा की है. हनुमान चालीसा के बारे में आज के युग में कोन व्यक्ति अनजान है. वस्तुतः हनुमान चालीसा एक विलक्षण साधना क्रम है जिसमे कई सिद्धो की शक्ति कार्य करती है, विविध साबर मंत्रो के समूह सम यह चालीसा अनंत शक्तियों से सम्प्पन है. खेर, देखा देखि में आज के युग में हर देवी देवता से सबंधित चालीसा प्राप्त हो जाती है लेकिन तंत्र की द्रष्टि से देखे तो वह मात्र काव्य से ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता है क्यों की न ही उसमे कोई स्वयं चेतना है और ना ही इष्ट शक्ति. इसके अलावा उसमे कोई महासिद्ध का कोई प्रभाव आदि भी नहीं है. एसी चालीसा और दूसरे काव्यों में कोई अन्तर नहीं है उसका पठन करने पर साधक को क्या और केसे कोई उपलब्धि हो सकती है इसका निर्णय साधक खुद ही कर सकता है. निश्चय ही आदी चालीसा अर्थात हनुमान चालीसा के अलावा कोई भी चालीसा का पठन सिद्धि प्रदान करने में असमर्थ है.
अगर सूक्ष्म रूप से अध्ययन किया जाए तो हनुमान जी के मूल शिव स्वरुप के आदिनाथ स्वरुप की ही साबर अभ्यर्थना है, कानन कुंडल, संकर सुवन, तुम्हारो मन्त्र, आपन तेज, गुरुदेव की नाइ, अष्ट सिद्धि आदि विविध शब्द के बारे में साधक खुद ही अध्ययन कर विविध पदों के गूढार्थ समजने की कोशिश करे तो कई प्रकार के रहस्य साधक के सामने उजागर हो सकते है.
कई वर्षों पूर्व साधना जगत में प्रवेश के प्रारंभिक दिनों में ही जूनागढ़ के एक साधक से मुलाकात हुई, जिनका नाम जिज्ञेश था. योग और तांत्रिक साधना में बचपन से ही काफी रुजान था उनका. गिरनार क्षेत्र के सिद्धो के सबंध में खोज में उनकी विशेष रूचि थी. सम्मोहन तथा वशीकरण आदि विद्याओ के बारे में काफी अच्छा ज्ञान रखते थे. उनके इष्ट हनुमान थे. तंत्र सबंधित चर्चा में सर्व प्रथम उन्होंने हनुमान चालीसा के बारे में विशेष जानकारी प्रदान की थी. उन्होंने बताया की
“जो सत् बार पाठ करे कोई, छूटही बंदी महासुख होई”
जो हनुमान चालीसा का 100 बार पाठ कर लेता है तो बंधन से मुक्त होता है तथा महासुख को प्राप्त होता है. लेकिन यह सहज ही संभव नहीं होता है, भौतिक अर्थ इसका भले ही कुछ और हो लेकिन आध्यात्मिक रूप से यहाँ पर बंधन का अर्थ आतंरिक तथा शारीरिक दोनों बंधन से है. तथा महासुख अर्थात शांत चित की प्राप्ति होना है. लेकिन कोई भी स्थिति की प्राप्ति के लिए साधक को एक निश्चित प्रक्रिया को करना अनिवार्य है क्यों की एक निश्चित प्रक्रिया ही एक निश्चित परिणाम की प्राप्ति को संभव बना सकती है.
हनुमान चालीसा से सबंधित एक प्रयोग उन्होंने ही मुझे बताया था, उसका उल्लेख यहाँ पर किया जा रहा है. लेकिन उससे पहले इससे सबंधित कुछ अनिवार्य तथ्य भी जानने योग्य है.
हनुमान चालीसा का यह प्रयोग सकाम प्रयोग तथा निष्काम प्रकार दोनों रूप में होता है. इस लिए साधक को अनुष्ठान करने से पूर्व अपनी कामना का संकल्प लेना आवश्यक है. अगर कोई विशेष इच्छा के लिए प्रयोग किया जा रहा हो तो साधक को संकल्प लेना चाहिए की “ में अमुक नाम का साधक यह प्रयोग ____कार्य के लिए कर रहा हू, भगवान हनुमान मुझे इस हेतु सफलता के लिए शक्ति तथा आशीर्वाद प्रदान करे. ” अगर साधक निष्काम भाव से यह प्रयोग कर रहा है तो संकल्प लेना आवश्यक नहीं है.
साधक अगर सकाम रूप से साधना कर रहा है तो साधक को अपने सामने भगवान हनुमान का वीर भाव से युक्त चित्र स्थापित करना चाहिए. अर्थात जिसमे वह पहाड़ को उठा कर ले जा रहे हो या असुरों का नाश कर रहे हो. लेकिन अगर निष्काम साधना करनी हो तो साधक को अपने सामने दास भाव युक्त हनुमान का चित्र स्थापित करना चाहिए अर्थात जिसमे वह ध्यान मग्न हो या फिर श्रीराम के चरणों में बैठे हुवे हो.
साधक को यह क्रम एकांत में करना चाहिए, अगर साधक अपने कमरे में यह क्रम कर रहा हो तो जाप के समय उसके साथ कोई और दूसरा व्यक्ति नहीं होना चाहिए.
स्त्री साधिका हनुमान चालीसा या साधना नहीं कर सकती यह मात्र मिथ्या धारणा है. कोई भी साधिका हनुमान साधना या प्रयोग सम्प्पन कर सकती है. रजस्वला समय में यह प्रयोग या कोई साधना नहीं की जा सकती है. साधक साधिकाओ को यह प्रयोग करने से एक दिन पूर्व, प्रयोग के दिन तथा प्रयोग के दूसरे दिन अर्थात कुल 3 दिन ब्रह्मचर्य पालन करना चाहिए.
सकाम उपासना में वस्त्र लाल रहे निष्काम में भगवे रंग के वस्त्रों का प्रयोग होता है. दोनों ही कार्य में दिशा उत्तर रहे. साधक को भोग में गुड तथा उबले हुवे चने अर्पित करने चाहिए. कोई भी फल अर्पित किया जा सकता है. साधक दीपक तेल या घी का लगा सकता है. साधक को आक के पुष्प या लाल रंग के पुष्प समर्पित करने चाहिए.
यह प्रयोग साधक किसी भी मंगलवार की रात्रि को करे तथा समय १० बजे के बाद का रहे. सर्व प्रथम साधक स्नान आदि से निवृत हो कर वस्त्र धारण कर के लाल आसान पर बैठ जाये. साधक अपने पास ही आक के १०० पुष्प रखले. अगर किसी भी तरह से यह संभव न हो तो साधक कोई भी लाल रंग के १०० पुष्प अपने पास रख ले. अपने सामने किसी बाजोट पर या पूजा स्थान में लाल वस्त्र बिछा कर उस पर हनुमानजी का चित्र या यन्त्र या विग्रह को स्थापित करे. उसके बाद दीपक जलाये. साधक गुरु पूजन गुरु मंत्र का जाप कर हनुमानजी का सामान्य पूजन करे. इस क्रिया के बाद साधक ‘हं’ बीज का उच्चारण कुछ देर करे तथा उसके बाद अनुलोम विलोम प्राणायाम करे. प्राणायाम के बाद साधक हाथ में जल ले कर संकल्प करे तथा अपनी मनोकामना बोले. इसके बाद साधक राम रक्षा स्तोत्र या ‘रां रामाय नमः’ का यथा संभव जाप करे. जाप के बाद साधक अपनी तीनों नाडी अर्थात इडा पिंगला तथा सुषुम्ना में श्री हनुमानजी को स्थापित मान कर उनका ध्यान करे. तथा हनुमान चालीसा का जाप शुरू कर दे.
साधक को उसी रात्रि में १०० बार पाठ करना है. हर एक बार पाठ पूर्ण होने पर एक पुष्प हनुमानजी के यंत्र/चित्र/विग्रह को समर्पित करे. इस प्रकार १०० बार पाठ करने पर १०० पुष्प समर्पित करने चाहिए. १०० पाठ पुरे होने पर साधक वापस ‘हं’ बीज का थोड़ी देर उच्चारण करे तथा जाप को हनुमानजी के चरणों में समर्पित कर दे.
इस प्रकार यह प्रयोग पूर्ण होता है. साधक दूसरे दिन पुष्प का विसर्जन कर दे. इसके अलावा भी हनुमान चालीसा से सबंधित कई महत्वपूर्ण प्रयोग मुझे उस साधक ने बताये थे जो की कई बार अनुभूत है, वो प्रयोग भी समय समय पर आप के मध्य रखने का प्रयास रहेगा जिससे की समस्त साधकगण लाभान्वित हो सके.
Jai Gurudev

Achieve Your Dream Job - Shabara Somavathi Sadhana




Achieve Your Dream Job - Shabara Somavathi Sadhana


साबर साधनाओ में एसी कई साधनाए प्राप्त होती है जो की इस प्रकार के उद्देश्य में पूर्णता प्राप्त करने के लिए साधको का मार्ग प्रसस्त करती है. आगे की पंक्ति में भी एक एसी ही अद्भुत साधना दी जा रही है. इस साधना को करने पर साधक को योग्य काम मिलने में जोभी अडचने हो दूर हो जाती है, योग्य मनोकुलित व् प्रगति वर्धक स्थान पर नौकरी मिलती है. अगर किसीको अपनी नौकरी में किसी प्रकार की समस्या भी हो तो भी यह साधना से वह दूर होती है. संस्क्षेप्त में कहा जाए तो यह साधना काम व् नौकरी की हर समस्याओ को दूर करने क लिए ही बनी है.
इस साधना को साधक सोमवार मंगलवार शुक्रवार या शनिवार से शुरू कर सकते है
समय रात्रि के १० बजे बाद का रहे, दिशा उत्तर रहे.
रात्रि में स्नान करने के बाद सफ़ेद वस्त्र को धारण करे. इसके बाद अपने पूजा स्थान में बैठ कर के गुरु पूजन सम्प्पन करे और सफलता प्राप्ति के लिए प्रार्थना करे.
उसके बाद निम्न मंत्र का १०८ बार उच्चारण करे
" ओम सोमावती भगवती बरगत देहि उत्तीर्ण सर्व बाधा स्तम्भय रोशीणी इच्छा पूर्ति कुरु कुरु कुरु सर्व वश्यं कुरु कुरु कुरु हूं तोशिणी नमः"
यह जाप सफ़ेद हकीक माला से हो और उस माला को मंत्र जाप के बाद धारण कर ले.
यह क्रम पुरे ११ दिन तक रहे. इस साधना में रात्रि में भोजन करने से पहले थोडा खाध्य पदार्थ गाय को खिलाना चाहिए. ऐसा करने के बाद ही भोजन करे. अगर यह संभव न हो तो रात्रि में भोजन न करे.
इस साधना पूरी होने पर माला को विसर्जित नहीं करना चाहिए तथा गले में धारण करे रखना चाहिए.
यह साधना का करिश्मा है की यह साधना करने पर कुछ ही दिनों में यथायोग्य परिणाम प्राप्त होने लगते है.

Sadhak may start this sadhana on either day of Monday, Tuesday, Friday or Saturday.
Time should be after 10 in night, direction should be north.
After bath wear white cloths. Sit at your worship place and perform guru poojan. Pray for success.
After that chant following mantra for 108 time (1 rosary)
" Aum somavathi bagavati baragat dehi uttirn sarv badha stambhay roshini ichchha poorti kuru kuru kuru sarv vashyam kuru kuru kuru hoom toshini namah "
The chanting should be done with white hakeek rosary, after chanting wear the rosary.
This process should continue for 11 days. In this sadhana one should offer some food to cow before having a dinner. One should have dinner after doing this process only. If it is not possible, do not have dinner.
After sadhana one should NOT drop rosary but rosary should be worn around neck.
This is miracle of sadhana that after completion of sadhana, in few days one may have desired results

Very Rare Lakshmi Sadhanas by Greatest Rishis


Very Rare Lakshmi Sadhanas by Greatest Tantrik Masters


Yakshini Sadhana Mantras Part - 3


Yakshini Sadhana Mantras Part - 2


Yakshini Sadhana Mantras Part - 1